Shatavari (Asparagus Racemosa) Uses, Benefits, Notes.

 

शतावरी – बल्य, वय:स्थापन, विदारीगंधादिगण

शतावरी, जिसे आयुर्वेद में "स्त्रियों की रक्षक" कहा जाता है, एक बहुपयोगी और बहु-प्रशंसित औषधीय जड़ी-बूटी है। यह न केवल स्त्रियों के हार्मोन संतुलन, गर्भधारण और स्तनपान में सहायक है, बल्कि पुरुषों के लिए भी शक्ति, वीर्य और मानसिक संतुलन का स्रोत मानी जाती है।

इस लेख में हम शतावरी के बारे में विस्तार से जानेंगे – इसके क्षेत्रीय नामों, वनस्पति संरचना, भौगोलिक उपस्थिति, आयुर्वेदिक गुण, कार्य प्रणाली, प्रमुख औषधीय योग, अनुकूलता और प्रतिकूलता, तथा सेवन मात्रा के साथ।


 Table of content

  1. शतावरी के नाम
  2. 🌱 पौधे की संरचना (Plant Structure)
  3. 🌍 भौगोलिक उपस्थिति – कहां पाई जाती है?
  4. गुणधर्म (Ayurvedic Properties)
  5. कार्यप्रणाली (Mode of Action)
  6. प्रमुख औषधियाँ एवं योग (Medicinal Formulations)
  7. सावधानियाँ (Antagonism & Precautions)
  8. सेवन मात्रा (Recommended Dosage)
  9. Modern Research Highlights
  10. Conclusion
  11. FAQs

🗣विभिन्न भाषाओं में शतावरी के नाम


भारतवर्ष में शतावरी को अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों में भिन्न नामों से जाना जाता है:

भाषा

नाम

संस्कृत

शतावरी, बहुसुता, नारायणी

हिंदी

शतावरी, सतमुली

तमिल

थानीर विट्टन किऴंगु

मराठी

शतावरी

तेलुगु

पिल्लिगडालु

बंगाली

शतमुली

गुजराती

शतावरी

मलयालम

सथावरी

इन नामों से यह स्पष्ट होता है कि यह जड़ी-बूटी भारत के लगभग हर कोने में उपयोग की जाती है।

कुल- लिलिअसी (Liliaceae)

🌱 पौधे की संरचना (Plant Structure)

शतावरी का पौधा बेलनुमा होता है जो भूमि के ऊपर फैलता है और इसकी जड़ें भूमिगत होती हैं। यह जड़ें ही औषधीय उपयोग में ली जाती हैं।

 

संरचनात्मक विशेषताएँ:

पत्तियाँ: बहुत पतली, सुई जैसी और गुच्छों में पाई जाती हैं।

फूल: छोटे, सफेद और सौम्य सुगंध वाले होते हैं।

फल: पकने पर लाल रंग के गोल छोटे-छोटे बेर जैसे दिखते हैं।

जड़ें: मांसल, लम्बी और कई संख्या में होती हैं, जिन्हें सुखाकर चूर्ण या कल्प बनाया जाता है।

 

🌍 भौगोलिक उपस्थिति – कहां पाई जाती है?

शतावरी मुख्यतः भारत, नेपाल और श्रीलंका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। यह निम्न क्षेत्रों में विशेष रूप से देखने को मिलती है:

हिमालय की तराई और मध्य पहाड़ी क्षेत्र

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान

दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट

ओडिशा और छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र

अब इसके औषधीय मूल्य को देखते हुए कई किसान इसे संगठित रूप से भी उगाने लगे हैं।

 

🧪 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से गुणधर्म (Ayurvedic Properties)

आयुर्वेद में शतावरी को रसायन वर्ग की औषधियों में गिना जाता है, जिसका तात्पर्य है – जो शरीर को भीतर से पोषण देकर पुनर्नवा करता है।

 


गुणधर्म   विवरण

रस-         मधुर (मीठा), तिक्त (कड़वा)

गुण-        गुरु (भारी), स्निग्ध (चिकनाईयुक्त)

वीर्य-        शीत (शीतल प्रकृति)

विपाक-  मधुर (पाचन के बाद भी मीठा)

प्रभाव-     स्तन्यवर्धक, बल्य, रसायन, वात-पित्त शांतिकारक

यह वात और पित्त दोष को नियंत्रित करता है, जबकि कफ को थोड़ा बढ़ा सकता है।

 

कार्यप्रणाली (Mode of Action)

शतावरी शरीर में कैसे कार्य करती है, इसे जानना इसके उपयोग को बेहतर समझने में सहायक है।

प्रमुख कार्य:

1. हार्मोनल संतुलन: शतावरी में प्राकृतिक फाइटोएस्ट्रोजन होते हैं, जो महिलाओं के हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं।

2. दूध की वृद्धि: प्रसव के बाद स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए इसे स्तन्यवर्धक माना गया है।

3. तनाव नियंत्रण: यह मानसिक थकान, चिंता और चिड़चिड़ापन को कम करता है।

4. प्रजनन स्वास्थ्य: पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता एवं मात्रा सुधारता है।

5. पाचन एवं अम्लपित्त: यह पेट की श्लेष्मा परत को पोषण देता है और गैस्ट्रिक अल्सर में उपयोगी होता है।

 

💊 प्रमुख औषधियाँ एवं योग (Medicinal Formulations)

शतावरी से अनेक क्लासिकल और आधुनिक योग तैयार होते हैं:

शास्त्रीय योग:

शतावरी कल्प – नवप्रसूता माताओं के लिए श्रेष्ठ

शतावरी घृत – संपूर्ण बलवर्धक और स्त्री रोगों में उपयोगी

शतावरी चूर्ण – सामान्य दुर्बलता, मासिक धर्म विकारों में

 

 

🏷एथिकल प्रोडक्ट्स:

हिमालया शतावरी टैबलेट

डाबर शतावरी कल्प

झंडु सटावारेक्स

चरक M2-Tone

पतंजलि शतावरी चूर्ण

 


🔗 अनुकूल संयोजन (Synergistic Combinations)

शतावरी अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलकर प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है:

संयोजन व लाभ

अश्वगंधा + शतावरी तनाव, कमजोरी, पुरुष व महिला दोनों में उपयोगी

आंवला + शतावरी   रोग प्रतिरोधक क्षमता व त्वचा स्वास्थ्य

गोक्षुर + शतावरी     प्रजनन प्रणाली, मूत्र संबंधी रोग

यष्टिमधु + शतावरी                हार्मोन असंतुलन, गर्भाशय विकार

शंखपुष्पी + शतावरी मस्तिष्क बल, नींद व मानसिक संतुलन

 

विरोध या सावधानियाँ (Antagonism & Precautions)

हालांकि शतावरी एक सौम्य औषधि है, परंतु कुछ स्थितियों में यह उपयुक्त नहीं हो सकती:

कफ प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को अधिक मात्रा में नहीं देना चाहिए।

बहुत अधिक गर्म या शुष्क औषधियों जैसे त्रिकटु के साथ इसका संयोजन टालें।

हार्मोन-संवेदनशील कैंसर रोगियों में प्रयोग से पूर्व विशेषज्ञ से परामर्श लें।

डायबिटीज रोगी शतावरी कल्प का सेवन करते समय ध्यान रखें (यदि उसमें मिश्री हो)।

 

🧾 सेवन मात्रा (Recommended Dosage)

रूप

मात्रा

सेवन विधि 

चूर्ण

3–6 ग्राम 

गर्म दूध या शहद के साथ, सुबह-शाम

टैबलेट/कैप्सूल

250–500 मिलीग्राम

भोजन के बाद, दिन में 2 बार

कल्प

5–10 ग्राम (1–2 चम्मच)

गुनगुने दूध के साथ, विशेषतः सुबह

घृत

5–10 ग्राम

गर्म पानी या दूध के साथ

महत्वपूर्ण: बच्चों, गर्भवती महिलाओं या गंभीर रोगियों में प्रयोग चिकित्सकीय निगरानी में करें।

 

📚 आधुनिक अध्ययन क्या कहते हैं? (Modern Research Highlights)

हॉर्मोन संतुलन: PCOS और रजोनिवृत्ति में सहायता

प्रजनन क्षमता: पुरुषों में शुक्रवृद्धि

तनाव और अवसाद: मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है

प्रतिरोधकता: रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि

गैस्ट्रिक हेल्थ: अल्सर व अपचन में उपयोगी

 

निष्कर्ष (Conclusion)

शतावरी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो महिलाओं की संपूर्ण देखभाल करती है – मासिक धर्म से लेकर गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति तक। यह शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर संतुलन लाती है। पुरुषों के लिए यह शक्ति, वीर्य और यौन स्वास्थ्य में सहायक है।

शतावरी को नियमित रूप से संतुलित मात्रा में लेने से ऊर्जा, शांति, और संतुलन का अनुभव होता है। यह आयुर्वेद का एक सच्चा रसायन है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

 

Q. क्या शतावरी पुरुषों को भी लाभ देती है?

हाँ, यह बल्य, शुक्रवर्धक और मानसिक शांति देने वाली औषधि है।

 

Q. क्या शतावरी का दीर्घकालिक सेवन सुरक्षित है?

यदि उचित मात्रा में और वैद्य की सलाह से ली जाए तो यह पूरी तरह सुरक्षित है।

 

Q. क्या यह गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी है?

सिर्फ वैद्य की सलाह से ही सेवन करें।

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